- ज्यादा समर्थन दिया। लेकिन, शिवसेना ने यह देखते हुए कि उसके बगैर सरकार नहीं बन सकती है तो वह सीएम की मांग पर अड़ गई, जबकि ऐसी कोई बात तय नहीं हुई थी। शिवसेना ने सरकार गठन के लिए हमसे बात करने की बजाय एनसीपी से बात की। यही नहीं, शिवसेना पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जिनके बारे में हमने सुना था कि वे मातोश्री से बाहर नहीं निकले, वे निकल-निकलकर तमाम लोगों से मिल रहे थे।
शपथ से चौंकाया, लेकिन 3 दिन भी नहीं टिके
शनिवार को दोनों नेताओं ने सभी को चौंकाते हुए सीएम और डेप्युटी सीएम की शपथ ली थी। तब देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि अजित पवार ने एनसीपी विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है और उनके पास बहुमत है। हालांकि कुछ देर बाद ही एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि यह अजित पवार का निजी फैसला है और पार्टी इससे सहमत नहीं है। इसके बाद उन्होंने ऐसा दबाव बनाया कि सरकार तीन दिन भी नहीं चल सकी।
162 विधायकों की परेड से विपक्ष ने दिखाया था दम
यही नहीं अगले कुछ घंटों बाद ही शरद पवार ने शिवसेना के चीफ उद्धव ठाकरे के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपने पास नंबर होने का दावा किया। शनिवार शाम तक ही शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के साथ माने जा रहे उन करीब एक दर्जन विधायकों में से आधे लोगों को अपने खेमे में बुला लिया था। इसके अलावा, सोमवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने जब मुंबई के एक होटल में 162 विधायकों की परेड कराई तो अजित पवार को छोड़ कर एनसीपी के सभी विधायक मौजूद थे।
महाराष्ट्र का जुबानी जंग