शक्तिपुत्र महाराज जी द्वारा एक कल्याणकारी सही दिशा निर्देश


नारीबारी,प्रयागराज: परम पूज्य योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद और दिशा निर्देशन में समाज को पूर्णता नशे मांस से मुक्त, चरित्रवान जीवन जीने के लिए पूर्ण आध्यात्मिक वातावरण कि एक दिशा धारा समाज को प्रदान करने के लिए संकल्पित है आज समाज में चारों ओर भयावह वातावरण का दृश्य परिलक्षित होता जा रहा है इसमें हमारे नन्हे मुन्ने बच्चे ,हमारी बहनें, हमारी माताएं ,आज समाज में पूर्णता असुरक्षित महसूस कर रही है यह हमारे समाज का ही दुर्भाग्य है कि मानव जीवन कर्म विहीन ,धर्म विहीन एवं साधना विहीन, अध्यात्म के प्रति नास्तिक होता चला जा रहा है इसी का परिणाम रहा कि समाज अपने पथ  से भटक गया और दानवता की ओर कदम रखता चला जा रहा है आज मनुष्यों का जीवन पशुओं से बदतर होता जा रहा है |भौतिक संसाधनों की पूंजी को ही अपनी संपूर्ण पूजी समझ रहा और इतरा रहा है | मानवता चारों ओर तड़प रही है दिन प्रतिदिन मनुष्य अपने जीवन अवधि को कम करता चला जा रहा है अगर हम अतीत की बात करें तो यही भारत- भूमि धर्म अध्यात्म से परिपूर्ण ,साधकों की धरती और कर्म योगियों का मंदिर माना जाता रहा है अनेक ऋषि-मुनियों ने हजारों हजारों वर्ष की तपस्या से समाज को एक ज्ञान दिया था अष्टांग योग का, ब्रह्म मुहूर्त में उठने का, शुद्ध और सात्विक भोजन करने का ,जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य जीवन शतायु हुआ करता था कहां गया हमारे देश का ज्ञान? कहां गई हमारे देश की सभ्यता ? कहां गया हमारे देश के संस्कार ?अतीत में भौतिक संसाधनों की बेहद कमी के होते हुए भी हमारे पूर्वजों ने सुख शांति का जीवन जीते हुए अंत समय में भी प्रसन्न चित थे, परंतु आज धन संपदा ओं का अंबार खड़ा कर लेने के बाद और तरह-तरह के भौतिक संसाधनों की पर्याप्त उपस्थिति के बावजूद भी मनुष्य तनाव और अभावग्रस्त जीवन जीने के लिए विवश है ,ऐसा क्यों ? इसी लक्ष्य को और अतीत की अपनी परंपरा, अतीत का ज्ञान (वर्तमान के आवश्यक शिक्षा व्यवस्था के ज्ञान को भी समझते हुए और उसका उपयोग करते हुए) इस लक्ष्य को लेकर भगवती मानव कल्याण संगठन शाखा- बारा, शंकरगढ़, प्रयागराज घर घर जाकर जनमानस को यह संदेश देना चाहता है कि समाज भौतिकतावाद के इस झंझावात में रहकर भी साधना पथ पर बढ़ कर अच्छी शिक्षा ,अच्छे स्वास्थ्य, अच्छे संस्कार अर्जित करके अपने परिवार अपने समाज और अपने राष्ट्र का कल्याण बिना किसी भेदभाव और छुआछूत के ही सफलता प्राप्त कर सकता है इस व्यापक लक्ष्य में सहयोगी बनने के लिए सर्व धर्म ,सर्व समाज के लोगों को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है हमारे देश के समस्त धर्मों के लोग समस्त जातियों के लोग सभी अपने हैं सभी मेरे हैं हम सबके हैं इस भाव भूमि को अंतर्मन से आत्मसात करते हुए एक साथ काम करने की आवश्यकता है, ताकि यह समाज ,यह राष्ट्र ,यह धर्म एक सुंदर मोतियों की माला बनकर सदा सदा के लिए चमकती रहे| इस कार्यक्रम की नीव की शुरुआत इसी महीने के अंतिम रविवार को सर्व धर्म ,सर्व समाज के लोगों के घर- घर ,गांव-गांव  जाकर संदेश देने का और उसे इसी मुख्यधारा में जोड़ने का काम हम सब एक साथ करने का विचार करेंगे जिसमें आप सब का सहयोग आवश्यक है और यह एक परंपरा के रूप में हर महीने के अंतिम रविवार को करने का लक्ष्य बना रहेगा कर्म की प्रधानता ही हमारे लक्ष्य की प्रधानता है
जय माता की,जय गुरुवर की